Film 'Article 15' आयुष्मान खुराना की फिल्म 'आर्टिकल 15' का जात-पात पर हल्लाबोल, ट्रेलर हुआ रिलीज

ये कोई पहला मौका नहीं है, जब सामाजिक बुराइयों पर कोई फिल्म बनने जा रहा है. इससे पहले भी कई फिल्म ऐसे है, जो सामाजिक मुद्दों पर बन चुकी है. इस बार प्रहार करने जा रहा है आयुष्मान खुराना, वो भी समाज की ऐसी बुराई पर जिससे भारत आजसे नहीं वर्षो से लड़ रहा है.


जी हाँ हम बात कर रहे है आयुष्मान खुराना की फिल्म 'आर्टिकल 15' के बारे में जिसे डायरेक्ट किया है अनुभव सिन्हा ने. आज इस फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हो गया. ट्रेलर में ये साफ-साफ पता चल रहा है,ये फिल्म पूरी तरह से जात-पात जैसी बुराई पर आधारित है. आयुष्मान खुराना फिल्म में मुख्या किरदार में है, जो एक पुलिस वाले की भूमिका निभा रहे है. ट्रेलर में कई और पुलिस वाले भी है जो अलग-अलग जाती के है. फिल्म में एक डायलॉग है 'हम कभी हरिजन हो जाते है कभी बहुजन हो जाते है बस जन नहीं हो पाते' कुल मिला कर ये फिल्म जातिवाद पर बड़ा प्रहार हो सकता है. जिस तरह से आज़ादी के 70 साल बाद भी हम जात-पात से ऊपर नहीं उठ पाए ये दुर्भाग्य की बात है. हो सकता है फिल्म के बहाने ही सही समाज में कुछ परिवर्तन आये.


आर्टिकल 15 क्या है ? शायद ये आज भी भारत के एक बड़े तवके को इसके बारे में पता ही ना हो. कोई बड़ी बात नहीं पढ़े लिखे लोगो को तो पता होता है मगर अनपढो को कौन बताएगा. कई बड़े समाज सेवक ने मेहनत की और कितनो ने कुर्वानी दी तब जाके भारत को आर्टिकल 15 के रूप में मिला जो जाती के आधार पर भेद-भाव छुआ छूट पर प्रतिबंध लगता है. पर इसकी सच्चाइ क्या है, आज के मॉडर्न इंडिया और पढ़े लिखे लोगो के बिच जिस तरह जाती पर आधारित पड़तड़ना की घटनाये घट रही है बेहद शर्मनाक है. आप आर्टिकल 15 पढ़े फिल्म भी देखे,मगर आर्टिकल 15 का पालन सिर्फ इसलिए ना करे की ये एक जुर्म है. बल्कि ऐसी जात-पात का आप इसलिए वहिष्कार करे क्यूंकि आप पढ़े लिखे है. ऐसी जात-पात का आप इसलिए वहिष्कार करे क्यूंकि ये गलत है. तब जाके हमारे समाज से इस बुराई का अंत हो सकता है नाकि फिल्म और आर्टिकल 15 से आपकी क्या राय है कमेंट लिखकर बताइये और हमे फॉलो करना ना भूले.
Reactions

Post a Comment

0 Comments