अगर आप पढ़े लिखे है,तो ये आपके लिए महत्वपूर्ण है. क्यूंकि अधिकतर पढ़े लिखे लोग भी ऐसी गलतियाँ करते है. मुझे आज भी याद है,मेरे कॉलेज का पहला दिन था,पहली क्लास थी. प्रोफेसर अमरीन जी,जिन्होंने हमसे पहला सबाल पूछा था,शिक्षित क्या होता है ? लग-भग सभी ने इसका गलत जबाब दिया था. मैंने भी शिक्षित के वजाय साक्षरता के बारे में बता दिया. लग-भल 60 से भी ज्यादा बच्चे थे,मगर कोई भी शिक्षित शब्द का सही जबाब नहीं दे पाया.
बहुत परेशान करने के बाद अंत में हमारे गुरु जी ने इसका जबाब बताया. बहुत ही छोटा और सरल जबाब. तभी से मैंने ये निश्य किया आजके बाद दुबारा कभी नहीं भूलूंगा.
आइये समझते है साक्षरता और शिक्षित में क्या अंतर है-
1,साक्षरता - सरल शब्दों में भारतीय जनगणना के नियम के अनुसार ये एक तरह का शिक्षा के पैमाना नापने का सूचक है. ऐसे व्यक्ति जो किसी आसान सी लिखी हिंदी या अंरेजी की लाइन जिसे पढ़ने में सक्षम हो,उसे साक्षर माना जायेगा. परन्तु हर साक्षर व्यक्ति को शिक्षित नहीं माना जा सकता क्यूंकि शिक्षित की परिभाषा अलग है.
2, शिक्षित - शिक्षित किसे कहते है इसकी भी अपनी एक अलग परिभाषा है. क्या जिसने ग्रेजुएशन या मास्टर कर ली वो लोग शिक्षित कहे जा सकते है. जबाब है,नहीं. तो आखिर शिक्षित का अर्थ क्या है. दोस्तों शिक्षित का अर्थ ऐसे पढ़े लिखे लोगो से है,जो किसी मुद्दे पर एक खास अपनी अलग विचारधारा रखता हो. ऐसे लोग जिसका किसी विषय पर अपना खुद का नजरिया होता है,उन्हें ही शिक्षित कहा जा सकता है.
जो लोग पढ़े लिखे है,उसकी खुदकी कोई विचारधारा नहीं है तो ऐसे लोगो को शिक्षित नहीं कहा जा सकता. तो अब समझ में आ गया होगा शिक्षित कोई भी बन सकता है.इसके लिए किसी डिग्री की जरूरत नहीं. सिर्फ आपके अंदर किसी चीज के बारे में जानने की चाहत आपको दुअरो से अलग और विशेष बना सकता है.इसलिए शिक्षित बनिए साक्षर नहीं.अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा तो हमे सपोर्ट करने के लिए फॉलो जरूर करे.
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