अगर फिल्म की कहानी में ये नहीं होता,तो पर्दे पर फिल्म "कलंक" को नहीं मिलती ये कामयाबी/#viralpost

दोस्तों आजके ज़माने में किसी फिल्म को हिट करने के लिए,सिर्फ पैसा या बड़ा नाम या बड़ा चेहरा काफी नहीं है. अगर ऐसा होता तो बड़े-बड़े नामचिन्ह  कलाकारों की फिल्म कभी फ्लॉप नहीं होती. वक़्त बदला है,आजकल सोशल मिडिया का ज़माना है. लोग बहुत तेजी से किसी भी चीज पर अपनी प्रकिया देते है,जिससे उसकी गुणवत्ता को निर्धारित किया जाता है.


लोग सिर्फ अब कंटेंट नहीं क्वालिटी वाले कंटेंट देखना पसंद करते है. इसलिए किसी भी फिल्म की कामयाबी में कहानी की भूमिका महत्वपूर्ण बन गई है.
आज हम बात कर रहे है,फिल्म "कलंक" की. करण जौहर की इस खास फिल्म का निर्देशन किया है "अभिषेक वर्मन" ने. इस फिल्म का डायलाग लिखा है "हुसैन दलाल" ने और कहानी लिखी है "शिबानी भथीजा" ने. इस फिल्म में आलिया भट्ट,वरुण धवन,माधुरी दीक्षित,आदित्य रॉय कपूर,सोनाक्षी सिन्हा और संजय दत्त मुख्या किरदार में शामिल है. लगभग 150 करोड़ के लागत से बना ये फिल्म अब तक दुनिया भर के सभी स्क्रीनों को मिला कर 78 करोड़ निकालने में कामयाब रही है.
हर सिक्के के दो पहलु होते है,जिस तरह से कलंक फिल्म ने पहले ही दिन सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए,जबरदस्त कमाई की. फिल्म देखकर ज्यादातर लोगो ने तारीफ ही की. बॉलीवुड फॅमिली से भी अच्छा ही फीडबैक मिला. मगर फिर भी कुछ लोगो ने बड़े पैमाने पर इस फिल्म की आलोचना की,और फिल्म को पैसा बसूल फिल्म नहीं बताया,मगर एक चीज सभी लोगो को संतुस्ट नहीं कर सकती.
पहले दिन फिल्म के जबरदस्त कमाई के बाद,लोगो ने ये कहा था हनुमान जयंती के अवकाश का सीधे तौर पर फायदा मिला इस फिल्म को और शुरुआत अच्छी रही. कुछ लोगो ने फिल्म के पहले दिन के कमाई का श्रेय,फिल्म में काम कर रहे मुख्या चेहरे को भी दिया. मगर इस बात को गहराई से समझना होगा. यह एक टीम वर्क होता है. एक तरफ प्रोडूसर पैसे लगाता है,दूसरी तरफ डायरेक्टर व एक्टर भी अपना महत्वूर्ण योगदान देता है,इसलिए किसी भी फिल्म के कामयाबी के लिए सभी तत्व इम्पोर्टेन्ट है.

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अब बात करते है,फिल्म की कहानी की,अगर फिल्म की कहानी अच्छी ना हो तो सोशल मिडिया पर लोगो का फीडबैक किसी भी फिल्म का दसा और दिशा दोनों बिगाड़ सकती है. इस फिल्म की कहानी की खास बात ये है,जो इस फिल्म को बेहतर बनाती है. इस फिल्म की कहानी आज़ादी से पहले लाहौर का एक छोटा सा शहर हुस्ना बाग की है. इस शहर में आधे से ज्यादा लोग लोहार बस्ते है,जो मुस्लिम है. मगर इस शहर का सबसे आमिर परिवार है,चौधरी परिवार जो है,बलराज चौधरी यानि संजय दत्त और उनका बेटा देव चौधरी यानि आदित्य रॉय कपूर. देव की पत्नी सत्या की रोल में है सोनाक्षी सिन्हा. देव अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते है,जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होती है. दूसरी तरफ कहानी को बहार बेगम की सदन की तरफ फोकस किया जाता है. बहार बेगम जोकि यानि माधुरी दीक्षित है. जहारूप यानि आलिया भट्ट बहार बेगम से संगीत सीखती है,और वही उसकी मुलाकात होती है जफर यानि वरुण धवन से जो एक लोहार है. धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ती है और दोनों में प्यार हो जाता है,लेकिन कहानी ने मोड़ तव आता है,जब जहारूप की शादी देव से हो जाती है,तो क्या जहारूप और जफ़र मिलते है,ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी
यही खास बात है इस कहानी की,लेखक ने चारो तरफ से कहानी को इस तरह से लिखने की कोशिश की,जिसके चलते कहानी के सभी पात्र को महत्वपूर्ण बनाता है. एक तरफ चुलबुली आलिया और वरुण का किरदार जो कहानी को मज़ेदार बनाता है. दूसरी तरफ संजय दत्त और आदित्य रॉय कपूर का किरदार जो कहानी में रॉयल्टी लाता है.
इस फिल्म को लेकर कुछ लोगो ने ये भी कहाँ,पुरे फिल्म में स्टार कास्ट से फिल्म ज्यादा महगी हो गई. मगर इस फिल्म में अगर सिर्फ मुख्या किरदार के रूप में वरुण धवन और आलिया भट्ट होते तो शायद ऐसी कामयाबी नहीं मिलपाती. फिल्म की सभी किरदार को खास बनाने का श्रेय सभी कलाकार को जाता है. फिल्म के डिमांड के हिसाब से सभी किरदार को रॉयल बनाने की कोशिश की गई,इसलिए अगर आदित्य रॉय कपूर या संजयदत्त नहीं होते इस फिल्म में तो शायद ये फिल्म लोगो पर इतना गहरा छाप नहीं छोड़ पाती. आप क्या कहते है कमेंट करके जरूर बताइये,साथ ही हमे फॉलो और लाइक करना ना भूले.
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