निशच्य ही परमात्मा ने हर कला हर व्यक्ति को नहीं दिया परन्तु हर व्यक्ति को कुछ ना कुछ कला जरूर दिया है!हर व्यक्ति अपने आप में खास है अगर वो अपनी कला को पहचानने में शक्षम हो!लिखना क्यूँ वर्जित है ये सवाल मेरा उन लोगो से है जिन्हे विधाता ने लिखने जैसी विशेष कला से नवाजा है!मगर वो अपने कला का कभी अभिनन्दन ही नहीं करना चाहते!वास्तव में व स्वम् अपने कला का तृष्कार करते है!
खास बात ये है की जब मै अपने प्रशन का उत्तर ढूंढ़ता हूँ तो मैं खुद दुविधा में पड़ जाता हूँ!मैंने अपने पहुंच के सिमा से कुछ दोस्तों बात की जो बेहद सुंदर लिखते है!मैंने कहा तुम बहुत सुंदर लिखते हो अपनी रचना को सबके सामने कब लाओगे और लेखक के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है!
उसने मुझे उत्तर दिया!
ये लो आ गया दूसरा प्रेमचंद!भाई पहली बात तो ये इसमें कोई भविष्य नहीं है!लेखक मतलब खाली दाल-रोटी से गुजरा और वैसे भी ये तो सिर्फ टाइम पास हॉबी है पिता जी ने तो पहले ही इंजीनीर बनाने की घोषणा कर रखी हैं!
विश्वास तो नहीं होता मुझे मगर शायद वो सत्य कह रहा होगा चुकि एक इंजीनियर के जीवन की तुलना में एक लेखक का जीवन बिलकुल भिन्न हो सकता है!परन्तु मुंशी प्रेमचंद जी ऐसा सोचते तो इस दुनिया के लिए वो प्रेमचंद कभी नहीं बन पाते!तो फिर कतराओ मत अपने कला का स्वागत करो!एक ऐसे लेख से जो दुनिया में छाप छोड़ जाये!क्योंकि कला को उर्म से नहीं तोला जाता!देर से सही अगर आप जग जायेंगे तो कला का विस्तार होने में वक़्त नहीं लगेगा!सबसे बड़ी बात है अब वो जमाना नहीं रहा जब लेखक भूखा मरता था!अब बक्त बदल गया है!पहले लेखक अपनी कृति को लोगो तक पहुंचाने के लिए झोला ले के पब्लिशर के पास चक्कर काटते थे!नए लेखकों को पैसे भी देने पड़ते थे अपनी कृति को छपवाने के लिए!कई बार तो लेखक के साथ बेईमानी भी हो जाती थे!कुछ मक्कार लोग दुसरो की कृतियां चुरा कर अपने नाम से छाप दिया करते था!मगर अब बक्त बदल गया है अब वो दौर नहीं रहा!आज के दौर में नए लेखकों के लिए सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म है डिजिटल मीडिया!सोशल मीडिया का प्रभाव धीरे-धीरे समाज में बढ़ रहा है!और नए लेखकों के लिए सबसे अच्छा सावित हुआ है!अब हुनरबाज लोग नाम के साथ पैसा भी कमा रहें हैं!
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