पल पल दिल के पास करण देओल के लिए डेब्यू फिल्म है,जिसे डायरेक्ट किया है खुद करण देओल के पिता सनी देओल ने. इस फिल्म में करण देओल और सहर बम्बा लीड रोल में है. फिल्म को प्रोडूस किया है ज़ी म्यूजिक ने. फिल्म पुरे एक घंटे 54 मिनट की है.लगभग 20 करोड़ के बजट पर ये फिल्म बनाई गई है और 8 करोड़ ब्रांडिंग में खर्चा हुआ है. चलिए जानते है कैसी है फिल्म की कहानी और लोगो ने कितना प्यार दिया है इस फिल्म को.
इस फिल्म की पूरी कहानी तीन हिस्से में बटी हुई है. पहले हिस्से में करण देओल की लाइफ को दिखाया गया है,जबकि दूसरे हिस्से में सहर बाम्बा की लाइफ को. स्क्रिप्ट के अनुसार करण देओल का अपना खानदानी काम है, जो की लोगो को घूमने फिरने और एडवेंचर की सुविधाएं दिलाता है, जिसके बदले में लोगो से अच्छा खासा पैसा भी लेता है. वही दूसरी तरफ सहर बम्बा एक मशहूर ब्लॉगर है जो की घूमने फिरने पर ब्लॉग लिखती है.
सहर बम्बा एक दिन करण देओल के साथ एडवेंचर पर जाती है,जिसके पीछे उसका मकसद होता है करण देओल का पर्दाफास करना,आखिर क्यों करण देओल लोगो से इतने पैसे बसूलता है,इस पर ब्लॉग लिखना चाहती थी. शुरू में करण देओल और सहर बम्बा के बिच थोड़ी सी नोकझोक होती है,मगर बाद में फिर दोनों में दोस्ती हो जाती है.
बाद में बम्बा वापस आके करण देओल के बारे में ब्लॉग लिखती है और एडवेंचर की काफी तारीफ करती है. दूसरी तरफ बम्बा का बॉय फ्रेंड है जिससे अब बम्बा का ब्रेकअप हो चूका है. उसका बॉयफ्रेंड एक पोलिटिकल बैकग्राउंड से होता है जिसकी वजह से वो बम्बा को परेशान करता है. इधर बम्बा और करण देओल में प्यार हो जाता है,अब देखने वाली बात ये है की दोनों कैसे एक होते है और अंत क्या होता है , इसके लिए आपको मूवी देखनी पड़ेगी.
अगर मैं फिल्म की बात करूं तो फिल्म में कुछ ख़ास नहीं है. वही प्यार मोहब्बत की कहानी और बिच में एक रुकावट. फिल्म की कहानी काफी कमजोर है. करण देओल की एक्टिंग में भी अभी मेहनत करने की जरूरत है. अगर बम्बा की बात करूं तो लगभग बम्बा का परफॉरमेंस काफी हद तक अच्छा है. बात करे जनता की तो जो लोग सनी देओल के फैन है काफी सरहा रहे है क्यूंकि उनके पुत्र की ये फिल्म है. जबकि ज्यादतर लोगो का ये कहना है की फिल्म एक्सपेक्टेशन पर खड़ा नहीं उतर पाई. कुल मिला कर इस कहानी के साथ करण देओल का डेब्यू कुछ ख़ास नहीं है. इसमें और बेहतर किया जा सकता था.
इस फिल्म की पूरी कहानी तीन हिस्से में बटी हुई है. पहले हिस्से में करण देओल की लाइफ को दिखाया गया है,जबकि दूसरे हिस्से में सहर बाम्बा की लाइफ को. स्क्रिप्ट के अनुसार करण देओल का अपना खानदानी काम है, जो की लोगो को घूमने फिरने और एडवेंचर की सुविधाएं दिलाता है, जिसके बदले में लोगो से अच्छा खासा पैसा भी लेता है. वही दूसरी तरफ सहर बम्बा एक मशहूर ब्लॉगर है जो की घूमने फिरने पर ब्लॉग लिखती है.
सहर बम्बा एक दिन करण देओल के साथ एडवेंचर पर जाती है,जिसके पीछे उसका मकसद होता है करण देओल का पर्दाफास करना,आखिर क्यों करण देओल लोगो से इतने पैसे बसूलता है,इस पर ब्लॉग लिखना चाहती थी. शुरू में करण देओल और सहर बम्बा के बिच थोड़ी सी नोकझोक होती है,मगर बाद में फिर दोनों में दोस्ती हो जाती है.
बाद में बम्बा वापस आके करण देओल के बारे में ब्लॉग लिखती है और एडवेंचर की काफी तारीफ करती है. दूसरी तरफ बम्बा का बॉय फ्रेंड है जिससे अब बम्बा का ब्रेकअप हो चूका है. उसका बॉयफ्रेंड एक पोलिटिकल बैकग्राउंड से होता है जिसकी वजह से वो बम्बा को परेशान करता है. इधर बम्बा और करण देओल में प्यार हो जाता है,अब देखने वाली बात ये है की दोनों कैसे एक होते है और अंत क्या होता है , इसके लिए आपको मूवी देखनी पड़ेगी.
अगर मैं फिल्म की बात करूं तो फिल्म में कुछ ख़ास नहीं है. वही प्यार मोहब्बत की कहानी और बिच में एक रुकावट. फिल्म की कहानी काफी कमजोर है. करण देओल की एक्टिंग में भी अभी मेहनत करने की जरूरत है. अगर बम्बा की बात करूं तो लगभग बम्बा का परफॉरमेंस काफी हद तक अच्छा है. बात करे जनता की तो जो लोग सनी देओल के फैन है काफी सरहा रहे है क्यूंकि उनके पुत्र की ये फिल्म है. जबकि ज्यादतर लोगो का ये कहना है की फिल्म एक्सपेक्टेशन पर खड़ा नहीं उतर पाई. कुल मिला कर इस कहानी के साथ करण देओल का डेब्यू कुछ ख़ास नहीं है. इसमें और बेहतर किया जा सकता था.
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