पूर्ण राज्य पर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की आर-पार की लड़ाई,ये मुद्दा है या राजनीति

स्वागत है एक बार फिरसे,आप सभी का इस खास न्यूज़ में. वक़्त चुनाव का है,तो माहौल हर तरफ गरम है. क्या जनता क्या पार्टी,सभी चुनाव में व्यस्त है. ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली का माहौल भी कम गरम नहीं. दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बिच गठबंधन को ले कर अटकले चल रही थी. कांग्रेस ने पार्टी की बैठक बुला कर सभी की राय ली गई,और आम आदमी के साथ गठबंधन ना करने की घोषणा की. पार्टी के वरिस्ट नेता शिला दिक्षीत ने प्रेस को इसकी सुचना दी. दिल्ली के सातो सीट पर आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है.


अन्ना हजारे के आंदोलन से पनपी आम आदमी पार्टी का कहना है, दिल्ली में स्वास्थ,बिजली,पानी, और शिक्षा के क्षेत्र विशेष काम किया गया. जो काम नहीं हो पाया,उसके लिए केजरीवाल केंद्र को दोषी मानते है. आम आदमी का मानना है दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाये बिना ये काम संभव ही नहीं.

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केजरीवाल के लिए दिल्ली के पूर्ण राज्य का दर्जा चुनावी मुद्दा है या नहीं. मुख्यामंत्री दिल्ली के जनता से कह रहे है,तुम हमे वोट दो हम तुम्हे पूर्ण राज्य देंगे. मगर क्या दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाना सम्भव है. जिस मुद्दे पर जनता से वोट माँगा जा रहा है,क्या वो भारतीय संविधान के हिसाब से सम्भव है.ये समझना जरूरी है.

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दिल्ली एक केंद्र शासित राज्य है. आम तौर पर केंद्र व राज्यों के बिच सभी चीजों का बटबारा होता है,चाहे वो कर का हो या कानून बनाने के अधिकार का. मुख्यतः तीन भागो में बाटा जाता है कानून बनाने के अधिकार को. इसमें केंद्र सूचि,राज्य सूचि, और मध्यवर्ती सूचि में विभाजित किया जाता. चुकि दिल्ली केंद्र शासित राज्य है,इसलिए दिल्ली में केवल नाम के लिए राज्य सरकार होता है, केंद्र में मुख्या सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है,इसलिए राज्य को सिमित जिम्मेदारियां ही दी जाती है. राज्य को शिक्षा,स्वास्थ,बिजली,पानी, इत्यादि का काम ही दिया जाता है,बाकी सभी महत्वपूर्ण काम केंद्र द्वारा किया जाता है. जिसकी व्यवस्था संविधान द्वारा की गई है,चाहे सुरक्षा का मामला हो या पुलिस का सब केंद्र के हाथ में आता है.
इसलिए अगर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना है तो बिना संविधान में परिवर्तन के सम्भव नहीं है. केंद्र द्वारा सभी काम-काज देश की राजधानी दिल्ली से सम्पन किया जाता है. इसलिए केंद्र के पास दिल्ली में राज्य से ज्यादा अधिकार होता है. अगर राज्य केंद्र के काम में दखल दे तो केंद्र कैसे इतने बड़े देश का निर्वहन करेगा. क्यूंकि सभी काम केंद्र से ही सम्पन किया जाता है,इसलिए संविधान को ध्यान में रखते हुए ये परिवर्तन सम्भव नहीं है. क्यूंकि संविधान के द्वारा ही देश को सुचारु रूप से चलाने के लिए केंद्र को राजधानी में अधिक अधिकार दिया गया है, ताकि राज्य हस्तक्षेप ना करें. ऐसे में ये सम्भव ही नहीं,दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाये.
मगर कुछ लोगो ने इसका बिच का रास्ता भी ढूंढ निकला है. कुछ लोगो का मानना है दिल्ली में पुलिस व्यवस्था का कुछ भाग राज्य को सौप देनी चाहिए. सिर्फ कुछ महत्वूर्ण क्षेत्र में ही केंद्र का पुलिस पर अधिकार हो,बाकी सभी क्षेत्र राज्य को दे देने चाहिए.जो भी हो पूर्ण राज्य का मुद्दा कुछ खास मुद्दा नहीं लगता,जितना बढ़ा कर केजरीवाल जी ले रहे है.
केजरीवाल जी को लगता है सिर्फ पूर्ण राज्य के मुद्दे के आधार पर दिल्ली के सातो सीट जित लेंगे. इसलिए ही तो आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस से गठबंधन करने से इंकार कर दिया. इसका फायदा किसको कितना मिलेगा ये तो वक़्त ही बताएगा. केजरीवाल जी चुनाव जित पाएंगे या भाजपा और कांग्रेस के बिच वोट काटने का काम करेंगे. इस चुनाव के बाद ये भी पता चल जायेगा, दिल्ली के जनता केजरीवाल जी से कितना खुश है. अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी तो हमे फॉलो जरूर करे.
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