पहले चरण के चुनाव में ही विपक्ष ने फिरसे EVM पर सबाल उठाया है. शनिवार को देश के 21 पार्टियों ने दिल्ली में बैठक,जिसमे चंद्रबाबू नायडू समेत आमदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल और कांग्रेस भी शामिल हुए. चंद्रबाबू नायडू ने चुनाव आयोग से मिलकर EVM में गड़बड़ी की जानकारी दी,कहा आंध्र प्रदेश में 30 से 40 फीसदी तक वोट में गड़बड़ी हुई है.
जिसके बाद विपक्ष के 21 पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे है. इन सभी पार्टियों का कहना है,50 फीसदी वोट का वोटर वेरीफाई ट्रे से मिलान होना चाहिए,जो अब तक सिर्फ 5 फीसदी तक है.
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बैठक के बाद चंद्रबाबू नायडू ने यह भी संकेत दिया,चुनाव आयोग से सहयोग नहीं मिलने पर उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकते है. सूत्रों की माने तो सभी पार्टी ने एक मत हो कर चंद्रबाबू के फैले उच्चतम न्यायालय में अपील करने के पक्ष में है. सभी पार्टियों ने सबाल उठाया अकेले भाजपा इसका विरोध क्यों कर रही है,EVM और चुनाव आयोग पर लोगो का भरोसा कायम रखने के लिए इसे मान लेना चाहिए.
दूसरी तरफ सत्ता धारी पार्टी भाजपा ने कहा,विपक्ष पहले ही हार से डर गई है,इसलिए EVM पर सबाल उठा रहे है. अपने हार का ठीकरा EVM और चुनाव आयोग पर फोड़ने की तैयारी में है. इस तरह के आरोप को पहले भी चुनाव आयोग ने ख़ारिज किया है. एकबार फिरसे इस मुद्दे को उठा कर चुनाव आयोग पर दबाब बनाने की कोशिश की जा रही है. चुनाव आयोग का काम है,निष्पक्ष चुनाव का आयोजन करवाना,अगर इस कदम से चुनाव की प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है तो इसमें कोई बुराई नहीं.
अगर विपक्ष उच्चतम न्यायालय का रुख करती है तो चुनाव आयोग और न्यायलय की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. आपको क्या लगता है,चुनाव आयोग की साख पर सबाल उठाना सही या गलत. अपने विचार हमसे सांझा करे और हमे फॉलो करना ना भूले.
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