एक बार फिरसे मोदी लहर के चलते कांग्रेस अभी तक ये नहीं तय कर पाया है,के वाराणसी से प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसे उतारा जाये. लेकिन सूत्रों की माने तो प्रियंका गांधी और नरेंद्र मोदी जी हो सकते है आमने-सामने. प्रियंका गांधी ने एक पत्रकार के सबाल का जबाब देते हुए कहा,अगर पार्टी उनसे कहेगी तो वो वाराणसी से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है. ये तो हो गई प्रियंका गांधी के मन की बात.
चलिए अब देखते है कौन किस पर कितना भारी पड़ सकता है,अगर प्रियंका गांधी वाराणसी से मैदान में उत्तरी तो. भाजपा के पुरे पार्टी का नेतृत्व कर रहे मोदी जी वाराणसी में ही नहीं अपितु पुरे देश में सक्रिय है. चुनाव प्रचार से लेकर बाकी रणनीति में भी दो कदम आगे है मोदी जी. वही प्रियंका गांधी ने जैसे वक्त में कांग्रेस में एंट्री मारी है,लोगो को फिरसे नए उम्मीद दिखा रही है प्रियंका गांधी. कांग्रेस के 72000 हजार वाला स्कीम भी काफी चर्चे में है. अगर प्रधान मंत्री की बात करे तो वो चुनाव से पूर्व ही अपनी जड़ मजबूत करने की रणनीति पर काम करते रहे. अनेको सभा व सीधे वाराणसी के जनता से जुड़कर प्रधान मंत्री अपनी पैठ बनाने में काफी दूरगामी है. वही कांग्रेस के प्रियंका गांधी ने चुनाव से पूर्व ऐसी कोई रणनीति नहीं बना पाई. हालाकि प्रियंका गांधी का बोर्ड यात्रा भी काफी चर्चे में रहा.
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पलड़ा दोनों का भारी है,मगर ये तो वक्त ही तय करेगा कौन किस पर भारी पड़ेगा.
अब बारी आती है प्रियंका गांधी को वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं? मुझे लगता है लड़ना चाहिए. प्रियंका गांधी इस वक्त कांग्रेस का मुख्या चेहरा है और मुख्या चेहरे का मुकाबला भी मुख्या चेहरे से होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग कहेंगे प्रियंका गांधी मोदी लहर से डर गई. इसलिए मोदी जी और प्रियंका गांधी में आर-पार होना ही ठीक रहेगा.
फिलहाल अभी कांग्रेस ने औपचारिक रूप से इस पर कोई फैसला नहीं लिया है,मगर ऐसा होता है तो मोदी जी के लिए हो सकती है नई मुशीबते. ये तो चुनाव का परिणाम ही बताएगा प्रियंका गांधी की 72000 हजार वाला स्कीम मोदी जी पर भारी पड़ता है या मोदी जी का लहर प्रियंका गांधी पर.मगर देश को प्रियंका गांधी और कांग्रेस का इस फैसले का इंतजार है. दोनों ही पार्टी के लिए नाक का सबाल हो सकता है वाराणसी. जानकारी अच्छी लगी हो तो हमे फॉलो करना ना भूले.
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