अपने बच्चो के लिए क्या करे क्या न करे!अगर आप एक अभिभावक है तो इन बातो का जरूर ख्याल रखें

आजके इक्कीसवी सदी के युग पैरेंटिंग कोई आसान काम नहीं है!बढ़ती हुई टेक्नलॉजी और सोशल मिडिया के युग अपने बच्चो को हर बुराई से बचाना और अच्छी शिक्षा देना बहुत कठिन हो गया है!इसलिए माता पिता का शिक्षित होना बहुत जरुरी है!एक शिक्षित माता-पिता ही अपने बच्चो सही दिशा निर्देश देकर अपने बच्चो को उज्वल भविष्य दे सकते है!
Bchcho ko kaise guide kre
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पैरेंटिंग एक कला है!जो सीखते-सीखते कई आरसे लग जाते है!बहुत मुश्किल होता है,उन लोगो के लिए जो नए-नए पैरेंट बनते है!उन्हें काफी हद तक दुसरो पर निर्भर रहना पड़ता है!ऐसे में अपने बड़े बुगरुगो से बहुत कुछ सीखना पड़ता है,एक अच्छे पैरेंट बनने के लिए!सच कहु तो ये एक नन्हे से पौध लगने जैसा ही है!जिस तरह किसान एक छोटी सी बीज बोता है और उसमे खाद व पानी डालता है!कुछ समय बीत जाने के बाद उसमेसे एक नन्हा सा पौध निकलता है!फिर उसकी परवरिश की जाती है!उसे दुनिया के हर बुरे साये से बचा कर खाद और पानी से सींचा जाता है!तव जाके कही एक दिन वो पेड़ फल देने के लायक बन पता है!इसी तरह एक बच्चे की परवरिश होती है!सिर्फ बच्चे पैदा करना कोई महानता नहीं है!बच्चे की बेहतर परवरिश और उसे एक उज्वल भविष्य देना महानता है!बच्चा एक पौधा होता है और पैरेंट उस पौधे का माली!जितनी मेहनत माली करता है उसका बच्चा उतना ही अच्छा इंसान बनता है साथ ही सर्वगुण सम्पन बनता है!
Good parents
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अब मुद्दे पर आते है!अपने बच्चो को गाइड करने के लिए अगर आप एक अच्छे पैरेंट बनना चाहते है तो इन बातो का खास ख्याल रखे!दोस्तों एक छोटे से बच्चे की कब क्या जरूरत है,समझना बहुत मुश्किल है!क्यूंकि विज्ञान बताता है,जन्म से लेकर व्यस्क होने तक बच्चे के विचार और व्यक्तित्व में परिवर्तन आता रहता है!इसलिए एक अच्छे पैरेंट होने के नाते आप अपने बच्चे के उम्र और जरूरत के अनुसार उसे गाइड करे!इस तरह से से आप अपने बच्चो को बेहतर तरिके से गाइड कर आप एक अच्छे पैरेंट बन सकते है!

शुरुआत

सबसे पहले नन्हा सा शिशु जब इस दुनिया में अत है,उस बक्त बच्चे का खास ख्याल रखे!क्युकि इस अवस्था में शिशु न कुछ बोल सकता है कुछ बता सकता है!ऐसे में पैरेंट की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण होता है!आप बच्चे का जितना खास ख्याल रखेंगे बच्चा उतना ही स्वाथ और मानसिक रूप से बेहतर विकास करेगा!असली जिम्मेदारी तव शुरू होती है जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है!शुरुआती दौर में शिशु जब छः से ग्यारह माह का होता है,बच्चा बहुत जल्दी खुश होता है और रोने लगता है!ऐसे में अभिभावक बच्चो का मन बहलाने के लिए तरह-तरह खिलौने इत्यादि खेलने के लिए दे देते है!कभ-कभी हम काम में लगे होते है, और बच्चो का मन बहलाने के लिए कुछ अनउपयुक्त चीजे जैसे माचिस,लैटर,चाकू या मोब्लिब बगेरा दे देते है,बच्चो को खेलने के लिए जो की बिलकुल गलत है!आपको पता होना चाहिए ऐसे में कई जाने अनजाने में नुकसान भी हो जाता है!

जब बच्चा दो से पांच वर्ष का होता है!

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है,बच्चे में सिखने की क्षमता आने लगती है!जब बच्चा एक साल का हो जाता है,धीरे-धीरे बोलना सीखता है!फिर चलना सीखता है!इस उर्म में बच्चे पर सबसे ज्यादा प्रभाव हमरा पड़ता है!बच्चे के सामने जो भी हम करते है,बच्चा गौर से देखता है और सिखने की कोशिश करता है!इस उम्र में बच्चा सबसे ज्यादा नकल करता है!इसलिए ये बक्त ऐसा होता है जब बच्चा आपसे से अच्छी बुरी बाटे सीखता है!पैरेंट होने के नाते आपकी जिम्मेदारी है,आप बच्चो को अब्छी बाटे सिखाइये!क्यूंकि ये आदत आपके बच्चो को आगे के लिए दिशा निर्देश देगी और उसमे अच्छी आदते डालेगी!

अगर आप बच्चे के सामने गली देंगे तो बच्चा गली देना सीखेगा,अगर आप बच्चो रेस्पेक्ट करना सिखाएंगे तो रेस्पेक्ट करना सीखेगा!

जब बच्चा पांच से बारह वर्ष का होता है!

जब बच्चा पांच से बारह वर्ष का होने लगता है,इस उर्म में बच्चा काफी हद तक व्यस्क होने लगता है!बच्चा काफी हद तक समझदार हो जाता है!ऐसे में माता-पिता की विशेष जिम्मेदारी होती है!अब बच्चे पर सबसे ज्यादा बहार वालो का प्रभाव पड़ता है!इसलिए इस उर्म में बच्चे का खास ख्याल रखे!आपका का बच्चा किसके साथ खेलता है किसके साथ रहता है,इस बात का खास ख्याल रखे!क्यूंकि अक्सर इस उम्र में बच्चा कई बार गलत संगति के कारण बुरी आदते सिख लेता है!
टीवी और गेमिंग का भी खास प्रभाव पड़ता है बच्चो पर!आपको ये पता होना चाहिए आपका बच्चा क्या देखता है टीवी पर!अगर आप ध्यान नहीं देंगे तो आजकल कई ऐसे टीवी सीरियल और प्रोग्राम आते है टीवी पर,जिसका असर आपके बच्चो पर नकारात्मक पद सकता है!आजकल बच्चे गेम के बहुत दीवाने होते है!बड़े-बड़े मोबाईल,कंप्यूटर बच्चो को बहुत लुभाता है!गेम खेलने देना कोई बुरी बात नहीं है,पर हिसाब से दे!कई बार बच्चो को लत लग जाती है,जोकि गलत है!आजकल सबसे ज्यादा एक गेम है पबजी बच्चे तो बच्चे बड़े भी इसके दीवाने है!इसकी लत गाल जाये तो बच्चा सबकुछ छोड़ कर बस गेम में लगा रहता है!कई स्कूल में तो बच्चो के घर नोटिस तक भेजा गया अभिभावकों को!इसलिए इसका इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर होना चाहिए!जरूरी नहीं के आप बच्चो के हर जिद को पूरा करे!
तेरह वर्ष से ले कर वयस्क होने तक!
ये उर्म सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है बच्चे के लिए!इसे बाल्य अवस्था कहते है!इस आयु में बच्चे में तेजी से परिवर्तन होता है!जैसे लड़को में मुछ-दाढ़ी का आना व शारीरिक परिवर्तन,लड़कीओ में तेजी से हाइट बढ़ना व शारीरिक परिवर्तन!इस उम्र बच्चा आत्म निर्भर बनना चाहता है!ऐसे में बच्चा सबसे ज्यादा अकेला महसूस करता है!इस उम्र में बच्चा अपनी गलतियों को मानने के बजाय क्रोधित बहुत लज्दी होता है!इस आयु में बच्चे को सबसे ज्यादा माता-पिता के प्यार की जरूरत होती है!इस आयु में बच्चा सब कुछ खुद करना चाहता है,उसे डाटने पर या मना करने पर बहुत जल्दी क्रोधित होता है!ऐसे में बच्चो को आत्म विशवाश की जरूरत होती है!माता-पिता व अध्यापक द्वारा उत्साहित करने पर बच्चा आत्म विशवाशी बनता है,वही सही माहौल ना मिलने पर बच्चो पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है!
इस आयु में बच्चा सबसे ज्यादा आजादी चाहता है,हर काम में!बच्चो का अपने से विपरीत लिंग की तरफ रुझान बढ़ता है!ऐसे में माता-पिता का दायित्व बढ़ जाता है!क्यूंकि ये वक्त ऐसा होता है जब बच्चा पढ़ाई लिखाई का खास उर्म होता है!अगर इस उम्र बच्चा गलत संगति में पड़ गया तो अपने भविष्य का नाश कर लेता है!इसलिए बच्चो को बेहतर भविष्य देने के लिए हर छोटी सी छोटी बातो का ख्याल रखे!
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