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हिन्दी निबंध : (भारतीय युवा और राजनीति) भारतीय राजनीति और 21वी सदी के युवाओ की सोच व युवाओ की राजनीति में भूमिका
हेलो दोस्तों मेरा नाम शोहराब मिर्ज़ा है,और आज मै अपने इस ब्लॉग का पहला पोस्ट लिख रहा हूँ,बहुत सोचने के बाद मैंने ये निर्णय लिया की मै एक छोटा सा आर्टिकल लिखूंगा जिससे मै अपने विचार आप सभी तक पंहुचा सकू!
मैंने इस आर्टिकल का टाइटल 21वी सदी के युवाओ की सोच इसलिए रखा है क्यूंकि मुझे लगता है आजकल के युवा कुछ पीछे चल रहे है!
अरस्तु ने कहा था मनुष्य एक राजनितिक प्राणी है और इन्ही प्राणियों से मिल कर समाज बना है,हम सब किसी ना किसी समाज का हिस्सा है और हम जिस समाज में रहते है उस समाज के राजनितिक गतिविधियों में भाग लेने का हमे पूरा अधिकार है परन्तु समाज में हमारी भूमिमा क्या हो,मैं आज यही बताना चाहता हूँ! दोस्तों मै राजनीती के मूड में नहीं हूँ इसलिए मैं किसी पार्टी या नेता की बुराई नहीं करूंगा मगर कुछ राजनितिक सत्ता धारी ये दावा करते है की वो हमारे देश का विकास कर देगा और भरस्टाचार मुक्त देश बना देगा,पर मैं ये कहता हूँ झूट बोलते है ये लोग!
जानना चाहते हो क्यूँ क्यूंकि हमारे देश का विकास ना कोई राजनेता कर सकता है और ना कोई धर्म गुरु कर सकता है ये लोग तो सिर्फ मुर्ख बना सकते है!
जानना चाहते है सचमुच हमारे देश का विकास कौन कर सकता है,हमारे देश का विकास सिर्फ और सिर्फ २१वी सदी के युवा कर सकते है!
जानो अपने अंदर की शक्ति को और जागो,दोस्तों आजकल के २१वी सदी के युवा जो 24×7 इंटरनेट और सोशल मीडिया से अपडेटम रहता है पर एक आम आदमी कभी धर्म के नाम पर तो कभी झूठे लोभ देकर कितनी आसानी से हमे मुर्ख बना देता है और हम पढे लिखे युवा अन्धविश्बाश में आजाते है!
दोस्तों आज हमारे देश की जीडीपी गिर रही है फिर भी कुछ पड़े लिखे अंधविश्वाशी युवाओ को लगता है की हमारे देश का विकास हो रहा है,लोग गिर के समलते है हम समल के गिर रहे है!
आज मैं बताना चाहता हूँ,धर्म और राजनीती दोनों अलग अलग चीज है दोनों को आपस में कभी मिलाया नहीं जा सकता क्यूकी धर्म में अगर राजनीती घुसा तो धर्म भर्स्ट और राजनीती में अगर धर्म घुसा तो राजनीती भर्स्ट,इस लिए दोस्तों जब कोई राज नेता अपने सभा में धर्म के बाते करे तो समझ जाओ की वो अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहा है और अगर कोई धर्म गुरु अपने सभा में राजनीती की बाटे कर रहा है तो समझ जाओ की वो तुम्हे मुर्ख बना रहा है!
तो दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से मैं बस इतना कहना चाहता हूँ की अगर देश का विकास करना है तो धर्म और जाती से ऊपर उठो और अपने जीवन में उदार बनो, दोस्तों हम जिस समाज में रहते है उस समाज में बहुत से धर्म के लोग रहते है,और धर्म एक आस्था की चीज है जो बिलकुल पवित्र होता है इसमें कोई मिलावट संभव नहीं है जबकि राजनीती झूट और मिलावट के बिना संभव नहीं है इसलिए राजनीती को धर्म से अलग रख कर हम अपने देश का विकास कर सकते है! एक पढ़ा लिखा युवा उसे नहीं चुनते जो मंदिर और मदरसे बनाने के वादे करे एक पढ़ा लिखा युवा उसे चुनता है जो उसके के लिए नए अवसर की उम्मीद जगाये,मैं आशा करता हूँ मेरे ये आर्टिकल आपके जीवन में कुछ परिवर्तन लाएगी!
जय हिन्द!
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